Wednesday, March 6, 2019 - 16:05

आदिवासी मसीहा महान महानायक रेंगा कोरकू को पुनर्जीवित करें। हम आदिवासी वीर रेंगा कोरकू के एहसानमंद है।
मालवा-निमाड़ के शेर और इंडियन राबिनहुड के नाम से मशहूर टंट्या मामा भील, जिसनें अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर दिया था। आदिवासियों को एक जुट करके लगातार 15 वर्षों तक अंग्रेजी सत्ता को लोहे के चने चबाने पर मजबूर किए, टंट्या मामा की उदारता और गरीबों की मदद करने के कारण आदिवासी उन्हें अपना मसीहा मानने लगे इस दौरान अनेकों आदिवासी टंट्या मामा के हमराही भी बने 1880 में टंट्या मामा के लगभग 200 अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया था । जिसमें से कई जबलपुर की जेल से भागे और अपने संघर्ष को और मजबूत किया, यह संघर्ष इंदौर जिले से अलीराजपुर और होशंगाबाद जिले तक फैल चुका था। अंग्रेजों और तत्कालीन खोलकर और तत्कालीन खोलकर सरकार के अधिकतर इस्तेहारों और गजट में जब भी टंट्या भील का वर्णन किया गया उसमें उनके 9 और साथियों का जिक्र था जिसमें कोरकू आदिवासी समुदाय के वीर रेंगा कोरकू का नाम प्रमुखता से लिया जाता है ।
टंट्या मामा के साथ मिलकर अंग्रेजो और शोषकों के विरुद्ध लंबी लड़ाई लड़ने वाले महानायक श्री रेंगा कोरकू होशंगाबाद जिले के खंडवा तहसील अंतर्गत सोनखेड़ी गांव के निवासी थे। खंडवा के जिला बनने के बाद सोनखेड़ी गांव अब होशंगाबाद से अलग होकर खंडवा जिले के हरसूद तहसील के अंतर्गत आता है। रेंगा कोरकू लंबे समय तक टंट्या मामा के दल के प्रमुख सदस्य के रूप में (1878 से 1889) तक अपनी भागीदारी निभाते रहें। टंट्या मामा का आदिवासी कोरकू समुदाय से काफी घनिष्ठ रिश्ता रहा है । अंग्रेजों ने 1908 के अपने गजट में इस बात को रेखांकित किया है, कि कोरकू टंट्या भील के भारी कृतज्ञ है । क्योंकि टंट्या भील ने गरीब कोरकू आदिवासियों की काफी मदद की, टंट्या भील की कोरकू आदिवासियों से घनिष्ठता के कारण ही अंग्रेज और होलकर सरकार अनेक लालच देकर टंट्या भील को पकड़ने की नाकाम कोशिश की, अंग्रेज और होलकर सरकार में टंट्या भील के प्रति इतना गुस्सा था, कि उन्होंने यह फरमान जारी कर दिया कि इंदौर पैनल कोर्ट 190 के अनुरूप जो कोई टंट्या भील या उनके सहयोगी को शरण देगा उसे 7 वर्ष की कैद और जुर्माना होगा । जब की कोई टंट्या भील या उसके साथी को रोकने या उनके आक्रमण के दौरान गोली चलाए, घायल करें या मार ही डाले तो उसके गुनाह माफ कर दिए जाएंगे । साथ ही घोषित इनामों के अलावा ₹10500 भी दिए जाएंगे। आदिवासियों के बीच रहने वाले गवली और बंजारा समाज के लिए भी इनाम घोषित किया गया था। कि यदि वह भी टंट्या भील या उनके साथियों को पकड़वाने में मदद करते हैं, तो उन्हें 5000 पशुओं के चलाने के लिए चारागृह इनाम में दिए जाएंगे । उस समय जगह जगह पुलिस आबादी नाम के थाने खोले गए ताकि टंट्या भील रेंगा कोरकू और उनके साथियों पर नजर रखी जा सके। आज भी चैनपुरी पुलिस आबादी जैसी जगह मौजूद है ।
रेंगा कोरकू पर रुपये 500 का इनाम था और बाद में उसने यह भी पेशकश की गई कि यदि वह स्वयं आत्मसमर्पण करते हैं तो उसके गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। हालांकि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिलता है, कि जिस में रेंगा कोरकू ने आत्मसमर्पण किया हो और कोरकू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वीर रेंगा कोरकू सही मायने में कोरकू समाज के महान जननायक है जो पिछड़ेपन और गरीब से निकलकर स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लंबा संघर्ष किया लेकिन दुखद बात यह है, कि रेंगा कोरकू को वह सम्मान अब तक नहीं मिल पाया जिसके वह हकदार थे । रेंगा कोरकू जैसे महान महानायकों को इस तरह भुला देना वर्तमान समाज और सरकार के कार्य प्रणाली पर काला धब्बा है। इससे पहले कि उसकी स्मृति इस पिढ़ी के जेहन से लुप्त हो, आदिवासी वीर स्वतंत्रता सेनानी रेंगा कोरकू को वह सम्मान प्रदान करना चाहिए। जिससे उनकी गाथा आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सके । इस सम्माननीय वीर योद्धा की वीरगाथा हमें जन जन तक पहुंचानी है और हमारे आदिवासी समाज का गौरव पूर्ण इतिहास पूरे देश के लिए एक नई आवाज बनकर शासन के समक्ष इस वीर योद्धा को सम्मानित कर अपने आदिवासी समाज को गौरान्वित करें । इस महान महानायक को पुनर्जीवित करने के लिए हर व्यक्ति इनके आदर्शों से जुड़कर आदिवासी युवा शक्ति ज्यादा से ज्यादा प्रचारक बने और हमारे आदिवासी वीर स्वतंत्रता सेनानियों को पुनर्जीवित करने के लिए समाज में अहम भूमिका निभाई।

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C
Chhagan Goutam (not verified) Mon, 01/01/2018 - 18:10

बिरसा लाइव न्यूज प्रकाशन कमेटी को बहुत बहुत बधाई । यह प्रकाशन यूं ही चलता रहे और आदिवासीयों के ज्वलंत मुद्दो को उजागर करके शासन का ध्यान आकर्षित करे तथा समाज की पृतिभाआे को स्थान देकर समाज से रूबरू करवाए ।
धन्यवाद ।

LU
LAKSHMAN SINGH UDAY Tue, 01/02/2018 - 08:12

आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि यह प्रकाशन चलता रहेगा।
बिरसा लाइव न्यूज पोर्टल का उद्देश्य है कि आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय की समस्याओं से सरकार को अवगत कराने तथा देश की जन्ता के लिए बुलंद आवाज बनकर एक सैतु का कार्य करना।
आपके विचारों के लिए ।
बिरसा लाइव न्यूज़ प्रकाशन की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद।

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