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BY-REPORT- SHAURY UDAY
मरवाही - राजनीतिक की सियासी गलियारों में छत्तीसगढ़ राज्य के भीतर हो रहे मरवाही के इस उपचुनाव में जहाँ प्रदेश के अलावा देश की टकटकी निगाहें हैं। जाहिर है कि यह सीट जोगी परिवार का एक गढ़ माना जाता था। लिहाजा तौर पर नामांकन दाखिले के अंतिम चुनावी समीक्षा के दौरान बहुचर्चित जोगी जिनका जाति की जंजाल ने आखिरकार प्रत्याशी अमित जोगी और ऋचा जोगी को लिहाजा तौर पर इस चुनावी द्वंद से वंचित कर दिया है।जिनका विधायक बनने की ख्वाइश बहरहाल भांप बन कर उड़ गया । कुछ भी कहें देश की राजनीतिक गलियारों में स्व अजीत जोगी जिनके अच्छे राजनीतिक कद काठी था। उच्चशिक्षित तथा संघ प्रशासनिक सेवा के अलावा जो देश की राजनीति में जिनका एक आईने के रूप में चमक था। बहरहाल मरवाही उपचुनाव में आदिवासी समुदाय की परत उतरने पर अब उनके राजनीतिक वारिसानों की चमक धुंधलाहट में तब्दील हो गई है। महज जोगी परिवार को जाति की इस मुद्दे ने जगह जगह घेरा तथा जिन्हें टकरावों का सामना करना पड़ा। लाजिमी तौर पर प्रदेश सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिये मरवाही सीट पर जोगी की राजनीतिक कांटे छटते ही अंदर ही अंदर खुशी की गुदगुदाहट स्वाभाविक है। महज सियासी मायने में मरवाही की इस चुनावी राजनीतिक वैतरणी में भाजपा के पाले में आए एक उच्च शिक्षित स्थानीय गोंड आदिवासी चेहरा डॉ गंभीरसिंह जिनके लिए डॉ भंवरसिंह एक प्रेरणाश्रोत मानें जाते हैं। जिनका चिकित्सा सर्जरी व समाजसेवा तथा राजनैतिक अनुभव के अलावा क्षेत्रीय आदिवासी समाज में जिनका एक गहरा पैठ है। चुनावी जद्दोजहद में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के लिए मरवाही की इस चुनावी वैतरणी में उतरे निवर्तमान चिकित्साधिकारी डॉ के के ध्रुव जिनका स्थानीयता को लेकर कई सवाल उठ चुका है।जिनके सामने स्थानीय मतदाताओं की आंतरिक कलह भी एक चुनौती से कम नहीं होगा। यहां की चुनावी धरातल की व्यावहारिक फितरत में जीतने के लिये गोंडवाना सहित कई अन्य राजनैतिक दल भी इस चुनावी द्वंद में सामने हैं। वैचारिक तौर पर राजनैतिक ढाल को तेज करने के लिए जनता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जोगी भी किसी को समर्थन देकर राजनीतिक घेरा को उसी तरह मजबूत करने की कवायद में हैं।जिस प्रकार से जोगी परिवार के चुनावी मैदान पर हटने से अन्य राजनैतिक दल भी खुश नजर आ रहे हैं।कमोवेश अपने अपने जीत के प्रति उत्साहित हो रहे हैं। अब तीसरे शक्ति के रूप में उभरे गोंडवाना दो अलग अलग राजनैतिक दल के रूप में मैदान में हैं।जो स्थानीय मतदाताओं के लिए असमंजस खड़ा कर दिया है।कुल मिलाकर गोंड़वाना की दोनों धड़ भाजपा कांग्रेस की चकित करने वाली खोट को जनता के सामने अपना पक्ष रखेंगे। जिनमें से एक लंबे अर्सों से राजनैतिक तजुर्बा रखने वाले तथा कई बार इस क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके, राष्ट्रीय गोंड़वाना पार्टी के तेज तर्रार महिला नेतृत्व एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उर्मिला मार्को जिनका माने तो जिला बनाओ आन्दोलन को लेकर गौरेला स्थित रेल्वे के समीप एक वर्ष से अधिक समय तक धरना प्रदर्शन किया गया।जो एक चुनौती से कम नहीं था।जिसका प्रतिफल को लेकर अधिकांश जनता इनके मुखर आंदोलन से वेहद प्रभावित हैं। वैसे ही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की ओर से सारबहरा ग्राम पंचायत से सरपंच रह चुके एवं पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे युवा चेहरा रितु पन्द्राम चुनाव मैदान में है। हिमायती तौर पर गोंड जनजाति आदिवासी समुदाय बाहुल्य हल्कों में इन पर्टियों की ओर से किस किस मुद्दों पर अपने जीत के लिए जनमत तैयार करेंगें।बहरहाल सवालों के घेरे में है। पर कुछ भी कहें प्राथमिकता के तौर पर स्थानीय मतदाताओं का मानें, तो सतारुढ़ प्रदेश कांग्रेस सरकार द्वारा जनता के प्रति संचालित योजनाओं को लेकर लोग काफी प्रभावित हैं। बहरहाल जीत के लिए सभी राजनैतिक दल मतदाताओं के घरों के चप्पे चप्पे घूम रहे हैं।