खरगोन म.प्र. / आदिवासी समाज ने 26 जनवरी 2018 को क्रांतिकारी टंट्या मामा का जन्म दिवस मनाया। खरगोन जिले के सेगांव में महानायक टंटया मामा की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई तथा खोलगांव में ग्राम सभा के गठन हेतु ग्राम वासियों को टंट्या मामा की जयंती मनाने लिये जागरूक किया गया। और गांव के जयस (जय आदिवासी युवाशक्ति) टीम के साथियों द्वारा
मांदल प्रतियोगिता का आयोजन भी रखा गया था।
मिशन मध्य भारत आदिवासी बचाव आंदोलन बिरसा ब्रिगेड अन्तर्राष्ट्रीय मिशन मध्यप्रदेश, स्वाधीनता दिवस के महानक्रान्तिकारी महामानव आदिवासी समाज के टंट्या भील ( टंट्या मामा ) जी है । भारत की केन्द्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने आदिवासी समाज के वीर शहीदों के इतिहास को ही नही , भारत के आदिवासी समाज के इतिहास से आदिवासियों को अनभिज्ञ रखा, आदिवासी समाज के महान क्रान्तिकारी, महामानव , शहीद , महानायक, जननायकों के सम्मान से सम्मानित करने की बजाय भारत की सरकार और मध्यप्रदेश की सरकार ने आदिवासी समाज के शहीदों को अमानवीय शब्दो जैसे देश द्रोही , क्रिमनल ट्राइब , और भी असम्मानित शब्दों से अपमानित किया गया। वर्तमान में भारत देश के राजा रहे आदिवासी समाज की वंशज को अपमानित किया जाता है और किया जा रहा है । प्रशन यह उठता है ?
आदिवासी समाज के महान क्रांतिकारी टंट्या भील (टंट्या मामा ) जी का जन्म मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले के पंधाना तहसील के गाँव बिरडा में हुआ था । टंट्या आदिवासी समाज के भील समुदाय के दुबले पतले कुपोषित बालक थे, जिसका जन्म रिकार्ड टंट्या दुबला पतला और कुपोषित होने के कारण टंट्या जी जीवित रहेंगे या नहीं इसकी कोई संभावना न होने के कारण टंट्या जी का जन्म रिकॉर्ड में 4 माह बाद रिकॉर्ड में दर्ज किया गया , टंट्या भील की जन्म तारीख भारत के किसी भी इतिहासकार या साहित्यकार ने ज्ञात नही किया ।
आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार, शोषण , विस्थापन , जो वर्तमान में भारत की केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश की सरकार आदिवासियों के साथ कर रही है या यूं कहें कि आदिवासी समाज को बचाने के लिए। आदिवासियों का मिशन मिशन मध्यम भारत आदिवासी बचाव आंदोलन, बिरसा ब्रिगेड अन्तर्राष्ट्रीय मिशन मिशन के रूप में निरंतर कार्य कर रहा है । बिरसा ब्रिगेड के माध्यम से टंट्या भील (मामा ) की जन्म तारिख 26 जनवरी 1842 है। इसी तारिख को मामा का जन्म मध्यप्रदेश में हुआ था । बताया जाता है जिस दिन टंट्या मामा जन्मे उसी दिन मुहर्रम था । टंट्या मामा को इसलिए स्वाधीनता दिवस ( गणतंत्र दिवस ) भी कहते है । स्वाधीनता दिवस के जननायक, महानायक, महान क्रांतिकारी टंट्या भील है । जिसके इतिहास से आदिवासी समाज को अनभिज्ञ रखा गया।
26 जनवरी को बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ने भारत का संविधान लागू किया । क्योंकि टंट्या भील और बाबा साहब की जन्म स्थली पास पास है, अम्बेडकर जी की माँ भीमा अम्बेडकर जी को टंट्या मामा की कहानी बताया करती थी । इसलिए अम्बेडकर जी ने टंट्या भील ( टंट्या मामा ) से प्रेरणा लेकर 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया ।
टंट्या मामा ने आदिवासियों के जल, जमीन ,जंगल ओर अधिकारों , शोषण , के खिलाफ हो रहे अन्याय और अत्ययाचार की 36 वर्ष तक आंदोलन किया ।
टंट्या मामा के 36 वर्ष का जो आंदोलन है। वह विश्व का सबसे लम्बा और अधिक वर्षों का आंदोलन रहा । टंट्या भील के 36 वर्ष के आंदोलन के कार्यकाल या आंदोलित तिथी तक भारत के सतपुड़ा पर्वत से लेकर सह्यद्री पर्वत में 36 वर्षों में किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं होने दिया ।
टंट्या भील (टंट्या मामा) की स्वंय की आर्मी थी , स्वयं की अदालत थी। टंट्या भील की आदालत पर क्षमा शब्द नही था । टंट्या भील के 36 साल के आंदोलन में टंट्या के रहते आदिवासी समाज का कोई भी गरीब व्यक्ति, बच्चा , या परिवार भूख से नही मरा , आदिवासी समाज की कोई भी बहन बिन बिहाई नही मरी । इसलिए आदिवासी समाज ने टंट्या भील को टंट्या मामा की उपाधी से सम्मानित किया।
टंट्या मामा ने जल जमीन और जंगल , अन्याय , अत्ययाचार , अधिकार , और शोषण के विरुद्ध विद्रोह किया । उन्होंने 46 लोगों की आर्मी बनाई जिसमे आदिवासी समाज से मध्यप्रदेश की 46 जनजातियाँ को रखा और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया था। टंट्या मामा के आंदोलन से ब्रिटिश सरकार परेशान हो गई और टंट्या मामा को भारत देश की सरकार की ब्रिटिश पुलिस नही पकड़ पाई तो ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश से टंट्या मामा को पकड़ने के लिए पुलिस की एक स्पेशल टीम बुलवाई गई और ब्रिटिश सरकार टंट्या मामा को 11 वर्ष तक पकड़ नही पायी थी , टंट्या भील ( टंट्या मामा ) को प्राकृतिक शक्ति प्राप्त थी। इसलिए टंट्या मामा को ब्रिटिश सरकार ने रॉबिनहुड से सम्मानित किया ।
टंट्या ने स्वयं की आर्मी ,स्वयं की अदालत और स्वयं की न्यायपालिका थी 2039 जमीदारों को एक ही दिन मोत की नींद सुलाकर जमीन कागजात छीनकर (1 जमींदार के हिस्से में 900 एकड़ जमीन होती थी) 2039 जमीदारों के पास जो आदिवासियों की जमीन थी उसे छीनकर , आदिवासी समाज के गरीब परिवारों में बाँट दिया था । टंट्या भील (टंट्या मामा ) को क्रिमनल ट्राइब आमानवीय शब्द दिया गया और क्रिमनल लिस्ट पर रखा गया ।
टंट्या मामा को छल से राखी के बहाने बुलाकर गिरफ्तार कर लिया गया और मध्यप्रदेश के जबलपुर जेल पर टंटया मामा को 4 दिसम्बर 1889 को को फाँसी दे दी गई तथा महान क्रांतिकारी टंट्या मामा शहीद हो गए ।
स्वतंत्रता दिवस हमारे आदिवासी समाज के महामानव, महानक्रांतिकारी, जननायक, शहीदों की कुर्बानी और संघर्ष के कारण ही स्वाधीनता दिवस के दिन भारत देश को आजाद करवाया गया था। इस इतिहास से आदिवासी समाज को अनभिज्ञ रखा गया ।