लखनपुर :-
सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा दशहरा के मौके पर किये जाने वाला रावण दहन एवम दुर्गा प्रतिमा के पैरों तले महिषासुर का वध करते दर्शाए जाने का विरोध करते हुए स्थानीय सर्व आदिवासी मूल निवासी समाज के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने महामहिम राज्यपाल के नाम तहसील कार्यालय पहुच 27 सितंबर को तहसीलदार लखनपुर के समक्ष ज्ञापन सौंपा।आदिवासी समाज के लोगो का स्पस्ट कहना है कि मूल निवासी आदिवासी समाज प्राचीन काल से मूल निवासी राजा महिषासुर एवम राजा रावण को अपने आराध्य देव के रूप में पूजनीय मानता चला आ रहा है जबकि दुर्गोत्सव समितियों द्वारा मूल निवासी महिसासुर को दुर्गा मूर्ति के पैरों तले वध करते दर्शाना राजा रावण का पुतला दहन किया जाना आराध्य देवो का सामूहिक रूप से अपमानित किया जाना है जिससे आदिवासी समाज के भावनाओ को ठेस पहुंचता है।जो भारतीय दंड संहिता 1860 के अंतर्गत कालम 159 अ,295 एवं 295 अ, ब,298 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।आदिवासी समाज को दुर्गा पूजा से कोई ऐतराज नही है परंतु आराध्य देवो का अपमान समस्त आदिवासी समाज का अपमान है।उक्त आधारों को संज्ञान में लेते हुए आराध्य महिसासुर वध प्रदर्शन व रावण दहन दोनों पर प्रतिबंध लगाने मांग किया है।ज्ञापन सौंपने में पीताम्बर उइके,रामकुमार टेकाम, नरेश सिंह कुसरो, नरेश सिंह पावले, रामनाथ मरावी,सुधारण आर्मो, विनोद सिंह उइके,ठाकुर प्रसाद,चैन साय, देवधन सिंह,विजय प्रताप सिंह, प्रह्लाद सिंह,धीरन,उमाशंकर सहित काफी संख्या में सर्व आदिवासी मूल निवासी समाज ब्लॉक इकाई के सदस्य उपस्थित रहे।